Rahim Ke Dohe In Hindi [रहीम के प्रसिद्ध दोहे-2020]

Rahim Ke Dohe In Hindi|रहीम के प्रसिद्ध दोहे-2020

Introduction:- दोस्तों आप, कभी न कभीं रहीम के दोहे पढ़े ही होंगे।  Rahim Ke Dohe को जानने से पहले रहीम के बारे में जान लेते हैं। रहीम का पूरा नाम  अब्दुर्रहीम खानखाना था।इनका जन्म 17 दिसम्बर 1556 ई. में लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिताजी का नाम बैरम खाँ था माता का नाम सुल्ताना बेगम था।दोस्तों आपने बच्चपन में रहीम के दोहे के बारे में पढ़ा ही होगा। रहीम के दोहे को याद करने के चक्कर कई बार मर भी खाई है लेकिन रहीम के दोहे उतना ही नहीं है जितना बच्चपन में पढ़े हैं बल्कि इससे कई गुना समृद्ध है। इन्ही दोहों में से कुछ दोहे के बारे में आज चलिए जानते हैं।

[Rahim Ke Dohe] रहीम अपने दोहे के माध्यम से अपनी जिंदगी को सरल बताया है और यह दोहे पहले जितना प्रसिद्ध थे उतना ही आज भी प्रशिद्ध है और आगे भी रहेंगे। प्रस्तुत लेख के माध्यम से हमने  रहीम के दोहे में से कुछ नीतिपरख दोहों को लिया है। इन्होने अपने दोहे के माध्यम से समाज में घटित  घटनाओं को व्यक्त किया है। रहीम अपने दोहे के माध्यम से समाज को सुधरने का प्रयास किया है। 

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1. समय लाभ सम लाभ नहीं, समय चूक नहिं  चूक।

चतुरन चित रहिमन लगी , समय चूक की हूक।।

व्याख्या :- रहीम ने अपने इस दोहे में समय की महत्ता को दर्शाते हुए कहा है कि समय के सदुपयोग से प्राप्त के समान कोई लाभ नहीं और समय के दरुपयोग  से  हानि के समान  कोई हानि नहीं। अतः चतुर लोग यदि किसी कारण से उचित  समय को गावं देते हैं , तो उन्हें बहुत पीड़ा होती है।

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Rahim Ke Dohe In Hindi
Rahim Ke Dohe In Hindi

2. सबको सब कौऊ करै , कौ सलाम कै राम।

हित रहीम तब जानिये , जब कछु अटकै काम।।

व्याख्या :- सामान्यतः हर कोई आपस में मिलता है , तो  राम- राम  आदि कहता है ;लेकिन ऐसा करने से कोई मित्र नहीं बन जाता।  परख तभी होती है जब उससे कुछ काम पड़ता है।  दुःख के समय में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है।

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3. जलहिं मिलाय रहीम ज्यों ,कियों आपु सग छीर।

अंगवहिं आपुहि आप त्यों ,सकल आंच की भीर।।

व्याख्या :- रहीम कहते हैं की सच्चा मित्र जल के के समान होते हैं। जिस प्रकार जल दूध में मिलकर दूध के समान  है  और जब दूध को गरम किया जाता है , तो दूध पर पतन नहीं आने देता। अर्थात अग्नि की पतन स्वंय बर्दास्त करता है। वास्तव में ऐसा मैत्री सज्जन मित्रों की ही होती है।

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4. काम न काहू आवई , मोल रहीम न लेई।

बाजू टूटे बाज को , साहब चारा देई।।

व्याख्या :- इस दोहे में रहीम ने ईस्वर की सदाशयता का वर्णन किया है। उनका कहना है कि ईश्वर सभी  भरण पोषण करता है। जिस प्रकार बज के बाज  के पंख टूट जाते  हैं और जो शिकार करने में असमर्थ होता है , उसे भला  खरीदता है ?  तब भी ईश्वर ही उसका भरण पोषण- करता है।

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5. मूढ़ मंडली में सुजन , ठहरात नहीं बिसेषि।

स्याम कचन में सेत ज्यों , दूरि कीजिअत देखि।।

व्याख्या :- रहीम कहते हैं कि विद्वानों की सभा में मूर्ख कभी नहीं ठहरते ; क्योंकि विद्वान ज्ञान की बातें करते हैं जो मूर्खों को समझ नहीं आती। इसलिए मुर्ख वहां से चले जाते हैं। जैसे काले बाल में सफ़ेद बाल शोभा नहीं पाते और उसे उखाड़ दिया जाता है।

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6. मथत – मथत माखन रहै , दही मही बिलगाय।

रहिमन सोइ मीत है , भीर परे ठहराय।।

व्याख्या :-  रहीम कहते हैं कि सच्चा मित्र वही है , जो संकट के समय भी साथ न छोड़े।  जैसे दही के बिलौने पर उसमे से घी अलग हो जाता है और मठा अलग हो जाता है।  लेकिन  दोनों साथ ही है।

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7. अमृत ऐसे वचन में , रहिमन रिस की गांस।

जैसे मिसरिहु में मिली , नीरस बांस की फांस।।

व्याख्या :- रहीम कहते हैं कि मीठी वाणी में जादू सा सागर होता है इसलिए यदि किसी को कोई बात मीठी वाणी में समझाया जाए ,तो वह उसके जल्दी समझ में आ जाती है।  यह वैसे ही है जैसे मिश्री के मधुर गुण के कारण उसमें मिली बांस की फँस भी मीठी लगती है।

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8. आवत काज रहीम कहि , गाढ़े बंधु सनेह।

जीरन होत न पेड़ ज्यों , थामे बरै बरेह।।

व्याख्या :- रहीम कहते कि विपत्ति के समय अपने बंधुजन ही सहायक होते हैं। इसके लिए रहीम बरगद पेड़ का उदहारण देते हुए कहते हैं कि बरगद का पेड़ चाहे जितनी भी पुराणी हो जाय तब  अपनी भी उसे अपनी जीर्ण – क्षीणता का एहसास ;  क्योंकि उसकी जड़ें धरती  भीतर जमकर तने का रूप ले लेती है और बरगद के पेड़ को मजबूती प्रदान करती है।

Rahim Ke Dohe In Hindi|रहीम के प्रसिद्ध दोहे-2020

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9. काज परै कुछ और है , काज सरे कुछ और।

रहिमन भंवरी के भये , नदी सिरावत मैार।।

व्याख्या :- रहीम कहते हैं कि मनुष्य इतना स्वार्थी होता है कि अपना काम पूरा करने के लिए किसी की भी चापलूसी करता है और काम पूरा हो जाने पर वह उससे किनारा कर लेता है।  जैसे विवाह के समय दूल्हा – दुल्हन के सिर पर बंधी जाने वाली मौर का महत्वा तबतक है जब दूल्हा – दुल्हन के  समक्ष फेरे  नहीं पड़ जाते। उसके बाद उसे नदी में प्रवाहित कर  दिया जाता है।

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10. ये रहीम दर – दर फिरहिं , मांगि मधुकरी खाहिं।

यारो यारी छोड़ि दो , वे रहीम अब नाहिं।।

व्याख्या:- रहीम ने अपने जीवन में अनेक उतार – चढ़ाव देखे थे। एक समय वे दानशील थे। परन्तु परिस्थितियों के बदलने पर उनके सामने फकेकशी की भी स्थिति आ गई। इस विपत्ति के समय का वर्णन करते हुए रहीम अपने मित्रों को कहते हैं कि अरे यारों अब तुम मुझसे मित्रता मत रखो। अब मैं वे रहीम नहीं हूँ। अब तो मेरी यह स्थिति आ गई है कि मैं दर – दर भटक कर भिक्षा मांगकर अपना जीवनयापन करता हूँ।

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Rahim Ke Dohe In Hindi
Rahim Ke Dohe In Hindi

11. भार झोंकि कै भार में , रहिमन उतरे पार।

पै बड़े मंझधार में , जिनके सर  भार।।

व्याख्या:-   रहीम कहते हैं कि जो अपने पापों के बोझ साधना रुपी भट्ठी में डाल देते हैं वही इस संसार रुपी सागर में पार होते हैं। लेकिन जो मनुष्य अपने पापोंके बोझ से दबे हुए ही रहते हैं। वे एक दिन जरूर संसार रुपी सागर में डूब जाते हैं।

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12. रहिमन कठिन चितान तै , चिंता को  चित चैत।

चित दहति निर्जीव को , चिंता जीव – समेत।।

व्याख्या:- रहिमकरते हैं की चिंता चिटा  अधिक दुखदायी होता है। चिता तो निर्जीव देह को जलती है ; ल्र्किन चिंता जीवित शरीर  धीरे -धीरे घुलाकर मरती हैं।

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13. रहिमन आटा  के लगे।,बाजत है दिन-राति।

घिउ शक्कर जे खात हैं, तिनकी कहा बिसति।।

व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि मधुरता आटे में है। वो घी ,शक्कर में कहाँ है ? ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि यदि तबले , मृदंग आदि बजाने वाले बाजों के तारों पर आटे का लेप लगाया जाए , तो उनका स्वर मधुर हो जाता है ; लेकिन यदि नहीं पर घी – शक्कर का लेप लगा दिया जाय , तो वह बिगड़ जाते हैं।

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14. रूप बिलोकि रहीम तंह , तंह जहं मन लागि जाय।

थके ताकहिं आप बहु , लेत छौड़ाय छोड़ाय।।

व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि  जहाँ कहीं भी सुंदरता दिखाई देती है मन वहीं रम जाता है। भले ही उस सैंदर्य को देखते – देखते आँखें थक जाती है लेकिन मन नहीं भरता।

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      15. रूप – कथा -पद -चारू -पट, कंचन दोहा लाल।
ज्यों – ज्यों निरखत सूक्ष्म गति , मोल रहीम बिसाल।।
व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि सौंदर्य , भगवद कथा ,कवि अथवा भक्त की रचनाओं के पद , सुंदर वस्त्र , स्वर्ण ,दोहा , और रत्नादि को इतनी गहराई से देखा जाए , तो उनका मोल उतना ही बढ़ जाता है।

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16. रोल बिगड़े राज नै , मोल बिगाड़े माल।
सनै सनै सरदार की , चुगल बिगड़े चाल।।
व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि जिस प्रकार प्रशासनिक व्यवस्था को राजा और आर्थिक व्यवस्था को व्यापार चौपट कर देता है , उसी प्रकार चुगलखोर सरदार अर्थात राजा के मुख्या व्यक्ति को चौपट कर देता है।

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दोस्तों रहीम के दोहे आपको पसंद आया होगा। हमने इस दोहे को सरल भाषा में समझने का प्रयास किया है। ताकि छोटे से छोटे बच्चे भी आसानी से समझ पाएं। अगर आपको रहीम के दोहे से समंधित कोई भी समस्या हो आप कमेंट सेक्शन में कॉमेंट करके पूछ सकते हैं। हम आपका उत्तर जल्द से जल्द देने का प्रयास करेंगे।

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