जानिए आसान शब्दों में मेसोपोटामिया की सभ्यता को (2021)
नमस्कार मित्रों आज हम मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे में बात करने जा रहे हैं। दोस्तों कभी न कभी आपके मन में सोच होगा की मेसोपोटामिया कहाँ स्थित है ? अगर आप स्कूल या कॉलेज के विद्यार्थी रहे हैं तो मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे में जरूर सुनने को मिला होगा। तो चलिए आज हम आपको मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे विस्तृत जानकारी देते हैं। इस ब्लॉग में आपको वैसे जानकारी पढ़ने को मिलेंगे जो पहले न कभी पढ़ने को को मिला है न सुनने को। चलिए ;कुछ महत्वपूर्णबिंदुओं पर चर्चा करते हैं।
मेसोपोटामिया की सभ्यता कहाँ स्थित है ?
सबसे पहले हमारे मन में यह सवाल आता है की मेसोपोटामिया की सभ्यता कहाँ स्थित है तथा यह कब अस्तित्व में आया ? दोस्तों मेसोपोटामिया की सभ्यता उस क्षेत्र में स्थित है जिसे अब पश्चिमी एशिया में फारस की खाड़ी के उत्तर में स्थित वर्तमान इराक को प्राचीन समय में मेसोपोटामिया कहा जाता था मेसोपोटामिया की सभ्यता दजला और फरात दो नदियोँ के मध्य क्षेत्र में जन्म पली और विकसित हुई।
“मेसोपोटामिया” प्राचीन शब्द “मेसो” से बना है, जिसका अर्थ बीच में या बीच और “पोटामोस”, जिसका अर्थ नदी है। टिगरिस और यूफ्रेट्स नदियों के बीच उपजाऊ घाटियों में स्थित, यह क्षेत्र अब आधुनिक इराक, कुवैत, तुर्की और सीरिया का घर है।
मेसोपोटामिया की सभ्यता
मनुष्य पहले पुरापाषाण काल में मेसोपोटामिया में बस गए थे। 14,000 ई.पू. तक, इस क्षेत्र के लोग परिपत्र घरों के साथ छोटी बस्तियों में रहते थे। पाँच हज़ार साल बाद, इन घरों ने जानवरों के वर्चस्व और कृषि के विकास के बाद, कृषक समुदायों का गठन किया। विशेष रूप से सिंचाई तकनीकें जो दजल और फ़रात नदियों की निकटता का लाभ उठाती थीं।कृषि प्रगति प्रमुख उबैद संस्कृति का काम था, जिसने इससे पहले हलाफ संस्कृति को अवशोषित किया था।
प्राचीन मेसोपोटामिया का चित्रण
सबसे पहले ये बिखरे हुए थे। बाद के दिनों में कृषि समुदाय प्राचीन मेसोपोटामिया क्षेत्र के उत्तरी भाग में शुरू हुए और दक्षिण में फैल गए, कई हजार वर्षों तक बढ़ते रहे जब तक कि आधुनिक मानव शहरों के रूप में चिन्हित नहीं हुए, जिन्हें सुमेर लोग भी माना जाता है।
उरुक इन शहरों में से पहला था, जो लगभग 3200 ई.पू. यह एक मिट्टी का ईंट महानगर था जिसे व्यापार और विजय से प्राप्त धन से बनाया गया था और इसमें सार्वजनिक कला, विशाल स्तंभ और मंदिर थे। अपने चरम पर, इसकी आबादी लगभग 50,000 नागरिकों की थी।सुमेरियन लिखित भाषा, क्यूनिफॉर्म के शुरुआती रूप के लिए भी जिम्मेदार हैं, जिसके साथ उन्होंने विस्तृत लिपिक रिकॉर्ड बनाए रखा।
3000 ईसा पूर्व तक, मेसोपोटामिया सुमेरियन लोगों के नियंत्रण में था। सुमेर में कई विकेन्द्रीकृत शहर-राज्य शामिल थे – एरिडु, निप्पुर, लगश, उरुक, किश और उर।एक एकजुट सुमेर के पहले राजा को किश के एटना के रूप में दर्ज किया गया है। यह अज्ञात है कि क्या वास्तव में इटाणा का अस्तित्व था, क्योंकि वह और कई शासक सुमेरियन राजा सूची में सूचीबद्ध थे जो लगभग 2100 ई.पू. सभी सुमेरियन पौराणिक कथाओं में चित्रित किए गए हैं।इटाणा के बाद शहर-राज्य उरुक का राजा मेस्कीगैशर था।
यह एक कांस्य युगीन सभ्यता थी :-
यह कांस्य युगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है। यहाँ सुमेर, अक्काद सभ्यता, बेबीलोन तथा असीरिया के साम्राज्य अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। मेसोपोटामिया हज़ारों साल तक एक कृषि प्रधान समाज था। उसके बाद ही वह एक आधुनिक राज्य के रूप में उभरा।
इतिहास
चौथी शताब्दी ई. पू. के अंत तक मेसोपोटामिया में राज्यों की स्थापना हो चुकी थी और ‘दजला और फ़रात’ नदियाँ जहाँ क़रीब आ जाती हैं, वहाँ बेबीलोन नगर बस चुका था। यह एक बड़ा व्यापारिक नगर था, जहाँ बड़ी-बड़ी मंडियाँ और गोदाम थे। बेबीलोन में 1792 ई. पू. में ‘हम्मूराबी’ नामका एक शासक हुआ था, जिसने 1750 ई. पू. तक शासन किया। बेबीलोन में अपार सम्पदा थी और हम्मूराबी के पास विशाल सेना। हम्मूराबी एक-एक कर आस-पास के राज्य हस्तगत करता गया। अपने आप को वह देवता समझता था और इस बात का पर वह बहत गर्व करता था। उसने अपनी प्रजा के लिये एक क़ानून संहिता बनाई थी, जो इतिहास में ‘हम्मूराबी संहिता’ के नाम से बहुत प्रसिद्ध है।
आयात निर्यात
सिन्धु से मेसोपोटामिया को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं में सूती वस्त्र, इमारती लकड़ी, मशाले, हाथीदांत एवं पशु-पक्षी रहे होगें। उर, किश, लगश, निष्पुर, टेल अस्मर, टेपे, गावरा, हमा आदि मेसोपोटामिया के नगरों से सिन्धु सभ्यता की लगभग एक दर्जन मुहरें मिली हैं। मेसेपोटामिया से सिन्धु सभ्यता के नगरों द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं में मोहनजोदाड़ो से प्राप्त हरिताभ रंग का क्लोराइट प्रस्तर का टुकड़ा, जिस पर चटाई की तरह डिजाइन बनी है, उल्लेखनीय है।
मेसोपाटामिया और सिन्धु सभ्यता के बीच व्यापारिक सम्बन्धों के विषय में अभिलेखीय साक्ष्यों के आधार पर यह ज्ञात होता है कि दिलमुन से सोना, चाँदी, लाजवर्द, माणिक्य के मनके, हाथीदांत, की कंघी, पशु-पक्षी, आभूषण आदि आयात किया जाता था। मेसोपाटामिया में प्राप्त सिंधु सभ्यता से सम्बन्धित अभिलेखों एवं मुहरों पर ‘मेलुहा’ का ज़िक्र मिलता है। मेसोपोटामिया में प्रवेश हेतु ‘उर’ उक महत्त्वपूर्ण बन्दरगाह था।
दिलमुन की पहचान फ़ारस की खाड़ी के बहरीन द्वीप से की जाती है। दिलमुन सैंधव व्यापारिक केन्द्रों तथा मेसोपोटामिया के साथ व्यापार का मध्यस्थ बंदरगाह था। भारत में लोथल से फ़ारस की मुहरें प्राप्त हुई हैं। उन्होंने उत्तरी अफ़गानिस्तान में एक वाणिज्य उपनिवेश स्थापित किया था, जिसके सहारे उनका व्यापार मध्य एशिया के साथ चलता था।
महत्त्वपूर्ण तथ्य
- मेसोपोटामिया के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि,पशुपालन, मत्स्य पालन आदि था। कुम्हार का चाक का प्रयोग सबसे पहले मेसोपोटामिया की सभ्यता में हुआ।
- सुमेरियन लोगों ने ‘क्यूनिफार्म लिपि’ विकसित की थी। सबसे पहले एक ब्रिटिश अधिकारी हेनरी रॉलिन्सन ने इसे पढ़ा था।
- पाइथोगोरस प्रमेय (Pythagoras Theorem) भी मेसोपोटामिया सभ्यता की ही देन है।
- इस सभ्यता के लोग खगोलविज्ञान में भी माहिर थे। इन लोगों ने दिन और रात की लम्बाई की गणना की तथा सूर्य और चन्द्रमा के उदय व अस्त होने के समय की गणना की थी।
- यहाँ के खगोलविदों ने एक दिन को 24 घण्टों में बाँटा। उन्होंने आकाश को 12 हिस्सों में बाँटा व प्रत्येक को एक नाम दिया। इन्हें राशियाँ कहा गया। चन्द्र कलैण्डर भी इनके द्वारा बनाया गया।
- ऐतिहासिक प्रमाणों से यह सिद्ध होता है कि समुद्री मार्ग से सुमेर, बेबीलोन और सिन्धु प्रदेश के बीच गहरे व्यापारी सम्बन्ध थे। भूतकाल में भारत भी वाणिज्य संबंधी कार्यों में बहुत प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका था।
- मिस्र, मेसोपोटामिया और चीन की आरंभिक लिपियां मुख्यत: भाव-चित्रात्मक थीं।
- लोथल की बंदरगाह महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों में से था। इस बन्दरगाह पर मिस्र तथा मेसोपोटामिया से जहाज़ आते जाते थे। मेसोपोटामिया की एक उत्कीर्ण मुद्रा भी लोथल से मिली है। इन प्रमाणों से यह प्रकट होता है कि समुद्री मार्ग से भी सुमेर-बेबीलोन और सिन्धु प्रदेश के बीच गहरे व्यापारी सम्बन्ध थे।
- इसमें सन्देह नहीं कि हड़प्पा समुदाय की शहरी आबादी में जो आर्थिक विषमता थी, वह लगभग वर्गभेद जैसी थी। व्हीलर की राय है कि हड़प्पा और मेसोपोटामिया के निवासियों के बीच दास व्यापार भी हुआ करता था।
- यह ज्ञात नहीं है कि अपने दैनिक व्यवहार में सिन्धुजन किस लेखन-सामग्री का इस्तेमाल करते थे। उनके समकालीन मेसोपोटामिया के निवासी एक छोटी कील से गीली मिट्टी के फलकों पर अक्षर उकेरते थे। वे कीलाक्षर लेख पढ़े जा चुके हैं, परन्तु सिन्धु लिपि अभी भी अज्ञेय बनी हुई है।